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लॉकडाउन वाली शाम
आसमां में सूरज का
नारंगी रंग और भी गहरा होना,
पक्षियों का अपने
आशियानों की ओर लौटना,
ठंडी हवा के झोकों
का रुक रुक कर चलना,
पतंगे जो शायद बेताब
थी हवा के साथ साझेदारी करके,
आसमां की बुलंदियों
को छूने के लिए, उन सभी का उड़ जाना ,
रजत भैया का ध्यान
अपनी पतंग से ज्यादा, गली न. 5 में
चार मकान छोड़कर रहने
वाले अवस्थी जी की बेटी पर होना ,
और उनकी इस बेफिक्री
का फायदा उठाते हुए,
तारिक मियां का पतंग काट लेना,
पडोसी पियूष का अपने सामने वाली पड़ोसन प्रेमिका
को,
दिखावा करते हुए
पुश-अप मारना ,
पंकज चाचा का विमला
चाची को अपने हाथों से चाय
बनाकर देना और जागरण
सप्तरंग वाले चुटकुले सुनाना,
सामने की छत पर
बच्चो को खेलते हुए देखना ,
बगल के घर में रेडिओ
कारवां पर रफ़ी साहब का होना ,
चौहान
अंकल का अपनी बालकनी पर बैठकर ,
रातरानी चटनी और
तम्बाकू का पान लगाना ,
और इतने दिनों बाद आज अचानक से दिनवंत का
अपनी छत की अटारी पर
बैठना और इस पूरे नज़ारे को
अपनी उन यादों में
कैद करना जिन्हें वो अक्सर ,
कागज़ के पन्नो पर
उतार देता है ,
और फिर बार बार मन
में ये सोचकर
खुश होना कि कितनी
खूबसूरत है ये-
“ लॉकडाउन वाली शाम “
- देवेश दिनवंत पाल |
To read most famous poetry of Dr. Rahat Indori.

अति सुंदर चित्रण का वर्णन 🤗
ReplyDeleteBahut Shukriya 😊
DeleteBahut khoob 🙂🙂
DeleteGajab
ReplyDeleteThanks 😁
Delete😊😊 बहुत धन्यवाद
DeleteBhut hi achha bhai kamal kar diye
ReplyDeleteShukriya bhai 😁
DeleteBahut accahe bhai keep it up
ReplyDeleteDhanyawad bhaishahab 😊
DeleteMeritorious and realistic
ReplyDelete😊😊
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